किसानो की रिहाई में बाटी गयी मिठाईयाँ हुई फूलो की बारिश ?... क्या ये सही था।
जब आशीष मिश्रा जिला कारागार लखीमपुर - खीरी से रिहा हुए तो चुप -चाप मिडिया से बचते -बचाते गाड़ी में बैठकर निकल गए और दूसरी तरफ किसान जिनको आशीष मिश्रा उर्फ मोनू के कारण जमानत मिली। मतलब जब आशीष मिश्रा की जमानत की बहस चल रही थी तो सुप्रीम कोर्ट ने कहा की किसानो को भी रिहा किया जाए। आशीष मिश्रा तो रिहा होकर चले गए। अब रिहा हुए किसान विचित्र सिंह और उनके स्वगत के लिए गए किसान नेता और फूलो की बारिश की गई मिठाई बाटी गई। परन्तु क्या कभी ये बात उन किसानो से पूछी किसी ने जिन किसानो ने जेल में समय काटा। एक उदासी किसान विचित्र सिंह के चहरे पर है। किसी आधार पर हम लोग खुशिया मना रहे है कि किसान यूनियन की कॉल पर किसान तिकुनिया में इक्क्ठा हुए जिन नेताओं का विरोध केर रहे थे वो ए ही नहीं आयी एक थार जो इतिहास में एक काला दिन दर्ज कर गई एक पत्रकार से सहित चार किसानो की मौत का कारण बानी। आक्रोशित भीड़ ने गाडी में मौजूदा लोगो को पीटना शुरू किया। और तीन B. .J.P समथर्को की मौत हो गयी पुलिस रिपोर्ट के अनुसार अब इन तीन व्यक्ति जो B.J.P के कार्य थे उनको किसी पर तो लगाना था अब भीड़ में से उन चार किसानो पर उन तीनो B.J.P कार्य कर्ताओं की हत्या का मुकदमा डाला गया। चारो जेल में गए दूसरी तरफ से केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा उर्फ़ मोनू आपने साथियो के साथ में जेल गए। अब इन किसानो के जेल में रहते हुए चारो किसानो को क्या - क्या कस्ट झेलने पड़े और कैसे उनके परिवारों ने सारे समय को झोल ये भी एक अलग चिंता का विषय है। संघर्ष की कहानी है। आशीष मिश्रा की पैरवी हुयी सुप्रीम कोर्ट ने उसे जमानत दी और साथ में चारो और किसानो की सुनी गयी उन्हें मिली। अब बताए इसमें लास्ट में रिहाई के समय किस बात पर खुशिया किसान यूनियन मना रही है। क्या उन पाँच लोगो की मौत को भूल गए किसान नेता या आशीष मिश्रा को पैरवी से हमें भी राहत मिल गई इस बात की खुशियाँ मनाई जा रही है। मामले पर किसान राजनीति करना ही इन संगठनो का काम है। ये सोचने का विषय है। यही हम लोग पूछते है। इन किसान नेताओं से और आप लोगो से विचित्र सिंह के या बाकी किसानो से या उस घटना में मृतक हुए हर परिवार के साथ अपनी साहनु भूति रखते है। हमारे विचार है। आप लोग क्या कहते है। कमेंट करे। |
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