नशा मुक्त भारत अभियान
जागरूक रहना ही, ज़िन्दा रहना है
।
"UN की रिपोर्ट खुलासा करती है कि जिन ड्रग्स के नशे की कीमत लाखों व करोड़ों में बताई जाती है। इनकी कीमत बाजार में 90 रुपये कि0 है। आप हैरान होंगे परन्तु ये सत्य है। इस विषय पर हम शोध कर सकते है। ये रिपोर्ट बहुत से पक्षों को छुए गी। आईऐ बात करते हैं।":-
पहले नशे को करने का कारण जानते हैं।
:- कोकीन, हीरोइन (चिट्टा)के बारे में विशेषज्ञ बताते हैं कि
कोकीन सैमी केमिकल है। हीरोइन पूर्णतः केमिकल है। केमिकल जिनका इस्तेमाल दवाइयों
में होता है। रैव पार्टी के बारे में आप लोगों ने सुना होगा। इन पार्टियों में नशे
का इस्तेमाल खुल के किया जाता है और (चिट्टा) हीरोइन आदमी का सेक्सुअल डिचार्जर बढ़ा देता है। औरत का तो आदमियों से भी ज्यादा
बढ़ जाता है। अब ये रेव पार्टीयों का आयोजन ड्रग्स के सेवन व सेक्स के लिए ही किया
जाता है। रेव पार्टियों में ज्यादातर मॉडल वगैरह भाग लेते हैं। ड्रग्स का सेवन
सेन्स को छीन लेता है। आज कल तो ड्रग्स का सेवन करना भी ग्लैमरस या ये कहें कि
एडिक्ट की ये भावना की मैं समाज से हटकर हूँ जो मैं कर सकता हूँ वो दूसरे नहीं कर
सकते। रिश्ते प्रभावित हो जाते हैं। ड्रग्स का सेवन व्यक्ति को आत्मविश्वास से भरा
हुआ महसूस करवाता है। ये दुनिया मेरे ही इशारों पर ही चल रही है। ऐसी सोच व्यक्ति
को समाज से अलग कर देती है।
ड्रग्स से मौत के कारण:- व्यक्ति जब समाज व रिश्तों से दूर
होता है। तो उसका अकेलापन उसके सेवन की मात्रा को बढ़ा देता है। इसका ये कारण भी है
कि जब व्यक्ति अकेला होता है। तो वह नशे की किक को ज्यादा महसूस करना चाहता है जब
ड्रग्स का सेवन करते तो किक का मजा ही तो आकर्षित करेगा सेवन करने के लिए। जब किक
का असर कम होगा तो फिर नशे की तरफ बढ़ेगा। तो इसको यूँ कहे की अगर व्यक्ति के पास
ड्रग्स मौजूद है तो वह कुछ समय के अंतराल पर उसका इस्तेमाल करेगा परन्तु उसका असर
व्यक्ति के शरीर में पहले से ही है और व्यक्ति ने फिर भी उसका इस्तेमाल किया तो
ओवरडोज सेवन से मौत होना तय है। इसलिए ड्रग्स की
मौजूदगी उसको मौत की तरफ ले जायेगी। यहाँ ये बताना चाहेंगे कि हीरोइन का केमिकल
वजन घटाने वाली दवाइयों में इस्तेमाल होता है। ये दवाइयाँ जैसे व्यक्ति की भूख को
कम करती है। ऐसे ही ड्रग्स का आदी भी खाना कम कर देगा। ड्रग्स का सेवन और भूख का
कम होना उसके जीवन को प्रभावित तो करेगा ही। शरीर की भौतिक स्थिति का गिर जाना व
ड्रग्स के सेवन का बढ़ जाना उसे मौत की तरफ ले जाएगा।
समाज से दूर हो जाना:- देखा गया है ड्रग्स व्यक्ति के
रिश्तों को प्रभावित करती है। ड्रग्स का आदी जल्दी उत्तेजित हो जाएगा। ये व्यवहार
भी उसके रिश्तों पर असर डालेगा। अपने आप को ज्यादा आत्मविश्वास से भरा हुआ महसूस
करना भी उसके सामाजिक टकराव का कारण बनेगा। मतलब उसको टोका-टाकी पसंद नहीं है। और
घर वाले या नसीहत देने वाले एक टाइम के बाद उसको चुभने लगेंगे वो उनके सम्मान को
ठेस पहुंचाएगा। तो रिश्ते प्रभावित और
अकेलापन शुरू। घर वाले नशा मुक्ति सेंटरों का सहारा लेंगे। ये कदम भी लगभग उलट
पड़ना तय है। क्यूँ कि उसे तो गलती स्वीकार ही नहीं है। तो सुधार कैसे होगा। सुधार
तो तभी सम्भव है जब व्यक्ति चाहेगा, जब व्यक्ति बीच की लकीर को मिटा देता है तो सम्मान तो वैसे ही वो छोड़
देता है अपने से बड़े का।
(नशा मुक्ति केंद्रों की गलती क्या है। इसका असर सकारात्मक क्यूँ नहीं पड़ता सरकार व सरकारों की नीतियां कारगर साबित नहीं हो रही। कमी कहाँ है। ये एक अलग व लम्बा विषय है। इस पर बात आगे करेंगे।
जहाँ पर ये कहना जरूरी है कि ड्रग्स के आदि व्यक्ति के घर वाले अपनी
जिम्मेदारी को सही से निभाते नहीं हैं। या उनको पता नहीं होता कि इस कमी पर कैसे
काम करवाना है।)
नशा अपराध को करवाता है। :- यहाँ एक बात कहना चाहूँगा कि जब
व्यक्ति समाज से टूट जाता है। तो प्रभावित होता है आर्थिक रूप से क्यूँ कि पहले तो
उसकी ड्रग्स की लत पूरी हो रही थी, पैसा का जुगाड़ झूठ, सच से हो रहा था अब ऐसा नहीं है। देखा गया है। ड्रग्स के लिए व्यक्ति
इसका व्यापार तक करता है। लूट-मार, चोरी तक करता है। जिसका सेवन ही ग्लैमर की दुनिया में रहने के लिए
शुरू हुआ था। अब जो एडिक्ट ने अपने बारे में एक छवि अपनी सोच में बना रखी थी जो
स्थान उसकी सोच में उसकी इस दिखावे के समाज में थी उसको बरकरार रखने के लिए जरूरी
है पैसा और वो आएगा ऐसे हर तरीके से जिससे पैसा आए चाहे वो गलत ही क्यूँ न हो।
पैसा सही तरीके से तो आना नामुमकिन है क्यूँ कि अपना विश्वास वो खो चुका है। इस
समाज व अपनों की नज़रों में।
अंत में मौत व अंधेरे में खो जाना :- इस सब में एक बात जो है। कंट्रोल।
ड्रग्स का आदी जो अपने जीवन को अपने नियंत्रण में करना चाहता था अपने दाएँ-बाएँ के
माहौल को नियंत्रण में करना चाहता था। अंत में वो खुद ड्रग्स के नियंत्रण में
था। उसका जीवन अब बस एक टाइम पास था किक
के मजे को तलाश करता-करता वो एक दिन अंधेरों के आगोश में चला गया। इसके लिए वह खुद
तो दोषी है साथ में दोषी हैं समाज व सरकार। सरकार का भ्रष्ट ढाँचा और ये हमारे देश
में ही नहीं विदेशों में भी है। कई ऐसे देश हैं। यहाँ की सरकारें और उन सरकारों को
बनाने वाले ड्रग्स के तस्कर हैं। इस पर बात होगी आगे।
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करें)
(किसी भी वस्तु का मूल्य इस बात पर भी
तय होता है। उसकी मांग क्या है। और उसकी पूर्ति कितनी है। यहाँ ये कहेंगे कि जब
व्यक्ति आदी हो जाता है। तब इसको प्राप्त करने के लिए वह कोई भी मूल्य देने को
तैयार होता है। ये फर्क कितना है। इसको इसी बात से समझ सकते हैं। अगर दवाई बनानी
है तो इसका मूल्य है 90 /रु० प्रति किलो और जब ये ही वस्तु नशे के लिए इस्तेमाल होती है। तो
इसकी कीमत करोड़ों में है और हमारा भ्रष्ट ढांचा इस अंतर पर काम कर रहा है नेता इस
कारण मूक दर्शक बने हैं क्यूँ कि इस बिना टैक्स के करोड़ो के खेल से बहुत से फायदे
भ्रष्ट नेताओं को होते हैं। कोई मरे उनको क्या)
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