किसी भी समुदाय के धार्मिक प्रतीकों के ऊपर टिपण्णी करना या उस धर्म के मान्यगणों का उपहास उड़ाना या उनका चित्रण इस तरीके से करना कि उस समुदाय को भावनात्मक रूप से ठेस पहुंचे। इसी विषय पर ये लेख आधारित है ।
क्योंकि विषय काफी संवेदनशील है। इसलिए कमेंट के द्वारा अपने सुझाव
दें ताकि अनजाने में की गई कोई भूल का सुधार हो सके और लेखक अपनी बात को सही ढंग
से पेश कर सका तो प्रशंसा के दो शब्द बोल दें ताकि वह और भी ऐसे विषय को कलम के
द्वारा उठा सके।
कपिल शर्मा के एक शो में यमराज को लेकर कुछ टिप्पणीयां की गई इससे
पहले भी बॉलीवुड की फिल्मों में अलग अलग धार्मिक स्वरुप के चित्रण को प्रदर्सित
किया गया और हम बॉलीवुड की फिल्मों का संक्षिप्त विवरण निकालें तो ये देखा गया है
कि हिन्दू देवी देवताओं को फिल्मों के अंदर पेश करने का तरीका बदलता रहा है
संक्षिप्त में कहना चाहेंगे की पुरानी फिल्मों के बाद में नई फिल्मों में इन देवी
देवताओं के रूपों को जिस तरह से पेश किया गया वो उपहास का कारण बनकर धर्म के साथ
भावनात्मक से जुड़े हुए व्यक्तियों की भावनाओं को ठेस पहुंचाते रहे।
अभी का विषय है ।
लीना मणिमेकलाई नामक फिल्ममेकर और एक्ट्रेस ने एक काली नामक
डॉक्यूमेंट्री बनाई जिसके रिलीज होने से पहले ही फिल्म के पोस्टर ने हिंदू धर्म को
आहत पहुँचाया इस बात को लेकर जब हिंदू संगठनों ने विरोध दर्ज किया तो फिल्ममेकर ने
इसे अभिव्यक्ति की आज़ादी के ऊपर हमला बताया,
पहले भी यह फिल्ममेकर हिन्दू धर्म की
मान्यताओं के ऊपर ऐसे ही उपहास वाले चित्रण करके या मंदिरों के स्थलों को अपनी
फिल्मों में गलत ढंगों से पेश करती रही, ऐसा आरोप हिन्दू संगठनों ने इस
फिल्ममेकर के ऊपर लगाया है। काली फिल्म के पोस्टर में माता काली की भूमिका को
निभाने वाली अदाकारा को सिगरेट पीते हुए पोस्टर पर दिखाया गया कि क्या है विवाद।
अंततः इस साड़ी बात में यह निचोड़ निकलता है कि अगर कोई राजनीति करता है तो अभिव्यक्ति की आज़ादी के ऊपर हमला है।
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